रात भर बिस्तर पे सपनो के झूलों ने खूब झुलाया , एक बच्चे की तरह मैं भी मजे लेता रहा इस बात से अंजान के झुला रस्सी का हैं तो कभी न कभी टूटेगा ही!
सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से नींद खुली तो देखा झूले की रस्सी टूटी पड़ी थी ,
घर के बाहर कुछ लोगो की भीड़ जमी थी पता किया तो एक सज्जन ने लम्बी सांस भरते हुए कहा
भाई मियाँ कोने के अप्पर्टमेन्ट कल रात कुछ चोरो ने डाका डाला और मोटा माल ले उड़े ..भाई मिया आज -कल सभी मोटे माल के पीछे ही पड़े है !
अब तो मोटे ताले भी इन चोरो की भांसा समझने लगे है !!
खैर ! जो हुआ सो हुआ ...
जब अच्छे -अच्छे सपने टूट जाते है तो इन तालो का क्या ?